Sunday 25 March 2012

interview

कभी कभी ऐसा होता है आप उस इंसान के बारे में कुछ और सोचते है लेकिन वह  इंसान होता कुछ और है आप लोग शायद समझे नहीं में बताती हूँ मैं अर्चना चतुर्वेदी की बात कर रही हूँ उनसे बात करने के बाद पता चला की वह कितनी इमोशनल है और इंडिया में जो सोशल प्रोब्लेम्स है उनको लेकर काफी चिंतित है वह  अपने आप में रहने वाली खामोश तबियत की लड़की है जिसको बोलना पसंद तो है लेकिन इस डर से नहीं बोलती की कहीं दूसरों पर उनकी शक्सियत ज़ाहिर न हो जाये .

उनके साथ कुछ पल मैंने बिताये और उनके बारे में जानने की कोशिश की तो आईये चलते है अपने सवालों की और जो मैंने उनसे किये :-

प्र-अर्चना क्या है कैसी लड़की  है  ?

छोटी छोटी चीज़ों से खुशियाँ निकलने वाली , कुछ भी हो रहा है उसमें अपना मतलब निकल जाये अपना खुश हो जाऊं यही बहुत बड़ी बात है , क्यूंकि लोगों की बात करे तो यह तो नहीं हो सकता न की मेरे वजह से कौन खुश हो रहा है और कौन नहीं तो अपने लिए सैटिस्फैक्शन बहुत ज़रूरी है क्यूंकि मेरा यह मानना है की सैटिस्फैक्शन किसी भी चीज़ में बोहत ज़रूरी है छोटे छोटे मौके तलाश  करती हूँ की मुझे कोई बड़ा मकाम मिल जाये इसलिए छोटे मौके भी नहीं खोना चाहती  हूँ .

प्र -तुम्हारा  फॅमिली  बैक्ग्रावुंड?

मैं  जोइंट  फॅमिली  सिस्टम  में  रहती  हूँ  हम  15 सदस्य  है  लेकिन  मेरा  परिवार  5 लोगों  का  है  मेरे  फादर की  देहांत जब  मैं   11 में  थी  तब हुआ था ,मम्मी  जॉब  करती  है  विधान  सभा  में,  अपने  भाई  बहनों  में  सबसे  बड़ी  हूँ .

प्र-तुमको  क्या  करना  अच्छा  लगता  है  ?

सब  चीज़े  अच्छी  लगती  है  ,डांस  करना  बोहत  अच्छा लगता  है  मुझे  सालसा  कॉम्बो ,बैले  मणिपुरी सब   आते है  इसीलिए  की  मुझे  शौक  है ,और  खाना  पकाना  (हँसते  हुए ) मुझे  खाना  पकाना बोहत  पसंद  है  नयी  नयी  दिशेस  टराई करना  बोहत  अच्छा  लगता है  ,और मेहँदी लगाना

प्र - तुमने  लिखना  कबसे  शुरू  किया ?

(भावुख  हो  गयी  थी)

जब  मैं  11 में  थी  और  मेरे  पापा  की  देहांत  हुआ  तभी  मैंने  लिखना शुरू  किया  और  उनके देहांत  के  बाद   ही  सबसे  पहली  कविता  मैंने  लिखी  बगिया  का  माली  न   रहा …और  इसे  देख  के  मेरी  माँ  ने  मुझे  तमाचा  मारा  था  की तुम  डायरी लिखती  हो  यह  क्या  फ़िज़ूल  शौक  पाल  लिए  है .. 

प्र- जब  तुम्हारी  माँ  ने  तुम्हे  तमाचा  मारा  था  तब  तुम्हे  कैसा  लगा  की  वह  सही  थी  उस  वक़्त  या  तुम्हे  नहीं समझ  प्  रही  थी  या तुम  उन्हें  समझा  नहीं प् रही  थी ?

मैं आज तक अपने आपको किसी को समझा नहीं पाई हूँ और सच बताऊँ तो मेरे घर वाले  मुझे नहीं समझते  है  की में कैसी हूँ क्या फील करती हूँ  वह कहते है  कभी  शांत  रहती  हो  कभी  इतना  बोलती  हो  उस  टाइम थप्पड़  मरना  तो  ऐसा  लगा  की  शायद  मम्मी  गलत  है  लेकिन  अब  मुझे  समझ  आता  है  की  यह  उनकी  रेस्पोंसिबिलिटी  थी   की  अपने  बच्चों  को  देखे  की  यह  डायरी  लिखना , शायरी  का शौक न  पाले  लेकिन  आज  लगता  है  की  अच्छा  हुआ  की  उस  वक़्त  उन  डायरियों से  बच  गए  तो  आज  कुछ  अलग  सोच  प्  रहे  है  वेरना  इश्क , दिल  ,प्यार  में  फँस  के  रह जाते .

प्र-  एक  सेमिनार में  जब  तुम्हे  श्री  लाल  शुक्ल  ने  कहा  की  तुम्हारी  कविता (बगिया  का  माली )बोहत 

अच्छी है तब तुम्हे कैसा महसूस हुआ?

मैं घर  आके  बोहत  रोई  थी  बोहत!! कमरा बंद  करके  मैं  बता  नहीं  सकती  हूँ  की  में  कितना  खुश  थी  की  उन्होंने  मुझे  कॉम्प्लीमेंट  दिया  की  तुम्हारी  आँखों  ने  ही  बता  दिया  की  यह  कविता  तुमने  ही  लिखी  है  और  यह  मेरे  लिए  बोहत  बड़ा  कॉम्प्लीमेंट  था  और  इससे  बेहतर  कॉम्प्लीमेंट  मुझे  कभी  नहीं  मिला .

प्र- एक  चीज़  जो  आप  अपने  अंदर  बदलना  चाहती  है ?

कभी  किसी  को  कुछ  कह  नहीं  पति  हूँ  और  जब  कहती  हूँ  तो  आँखों  से  आंसू  निकल  आते  है  इसकी  वजह  से  मैं  अपने  आप  को  बोहत  कमज़ोर  फील  करती  हूँ ,चाहे  कोई  हो  फ्रेंड ,बेस्ट  फ्रेंड  लेकिन  कह  नहीं  पाती   हूँ  यही  बोहत  बड़ी  प्रॉब्लम  है  शायद  इसीलिए  बोहत  सी  गलतियाँ  होती  है  ,मन  करता  भी  है   तो  उसको  दबा  लेती  हूँ  ज़ाहिर  नहीं  कर पाती हूँ यह  मुझे  अपने  अंदर  की  चीज़  बदलनी  है  .

प्र -इस  फील्ड  में  कैसे  आई  मतलब  कुछ  सोचा  होगा ?

संवेदना  तो  थी  लेकिन  हिम्मत  नहीं  थी  .अगर  किसी  से  बात  करती  थी  की  मुझे  समाज  से  लगाव  है  उसके  जो सोशल इशूस पे  कुछ  बोलती  तो  सब  मुझे  दादी  अम्मा  ,गुरुमाता  की  उपाधि से नवाज़  देते थे लोग ये  समझ  लेते  है  की  अगर  कोई  ऐसी  बात  कर   रहा  है  तो  बड़ बोलापन है उसके अंदर लेकिन  में  इन  छोटी  छोटी  प्रोब्लेम्स  को  सोल्व  करना  चाहती  थी  लेकिन  अकेले  तो  इंसान  कुछ  नहीं  कर सकता  फिर मैंने सोचा  की  मास  मीडिया  शायद  एक  ऐसा  सशक्त माध्यम  है  जिसके  ज़रिये  से  मैं  अपनी  आवाज़  को  लोगों  की  आवाज़  बना  सकती  हूँ .

प्र- तो यह  सारी  चीज़े  तुम्हारे  दिमाग  में  कबसे  आना  शुरू  हुई मतलब स्नातक से ? 

  यह  चीज़  मैंने  12 से  ही सोचा था , लेकिन बी जे ऍम सी में  जब  पता  किया  तो  पता  चला  फारम फिल हो  चुके  है  तो  घरवालो ने  कहा  की  चलो  अब बी ऐ ही  कर लो ,.लेकिन  में  बोहत  खुश  हूँ  की बी ऐ  किया  क्यूंकि  मैंने  बोहत  सी  छोटी  छोटी  बातें  जानी   वहां  पे  जो  मैंने  सब्जेक्ट्स लिए  सोशिओलोजी ,कल्चर और  मैं  अगर  इस  फील्ड  में  आई  हूँ  तो  मुझे  कुछ  अलग  से  भी  जानकारी  है  दुसरे  सुब्जेक्ट्स  के  बारे  में  .

प्र-एक जौर्नालिस्ट की सबसे अच्छी  बात और बुरी बात?

बुराई – घमंड ,ईगो , मतलब  कभी  कभी  कोई  जर्नलिस्ट   दुसरे  जर्नलिस्ट  से  घमंड  में  जल  के  वोह  काम  नहीं  करने  देता  जो  सही  है जैसे किसी  की  पोल  खोलनी  हो  स्टिंग  ऑपरेशन  करना  हो   तो  जो  मुझसे  ऊँची  पोस्ट  पे   है  तो  वोह  नहीं  चाहेगा  की  वोह  काम  मैं   करूँ  क्यूंकि  उससे  मेरा  नाम  होगा  ..तो  जहाँ  नाम  की  प्रॉब्लम  आ  जाती  है  तो  मुश्किल  पेश  आती  है  

अच्छाई - एक  छोटी  सी  बात  आम  जनता  तक  पोहचाना अपनी  प्रॉब्लम  को  मास  की  प्रॉब्लम  बनाना  यह  बोहत  बड़ी  बात  है ..

प्र- जिंदिगी  ने  क्या  सबक  सिखया है  तुम्हे ?

मेरे  लिए हर दिन एक  सबक  की  तरह  है  की  अगर  कोई  कुछ  कह दे  तो  माईंड केर जाती हूँ फ़ौरन .

प्र- आपने एक  बात  कही  की  आप माईंड  कर  जाती  है  तो  अच्छे  में करती हो या  बुरे में  मतलब  मुहं  फुला  के  बैठ  जाती  है  या उस  चीज़  को  सोचती  हो की मुझे चंगे  करना  चाहिए  यह  चीज़  अपने  अंदर ?

मैं  गलतियाँ  करती  हूँ  तो  माफ़ी  मांग  लेती  हूँ  लेकिन  मैं यह कोशिश करती हूँ की जो गलती हुई है वोह दोबारा न हो.

प्र- लोग  कहते  है  अर्चना  एक  ऐसी  लड़की  है  जिसके  अंदर  एटीटियुड है  और  वोह  दूसरों  पे  हावी  होने  की  कोशिश  करती  है ?

(मुस्कुराते हुए ) हाँ  किसी  हद  तक  ठीक  है  क्यूंकि  में  थोड़ी  रफ एंड टफ  दिखती  हूँ  तो उसको  लोग एटीटियुड मान  लेते  है  लेकिन ऐसा  है  नहीं  तुमने  नारियल  देखा  होगा  वोह  उपर से सख्त  होता  है  और  अंदर से  मुलायम  तो  मेरे  साथ  भी  वैसा  ही है  ..होना  पड़ता  है  क्यूंकि  में  नहीं  चाहती  की  मेरी  कमजोरियों  का  कोई  फायदा  उठाये .

प्र- और  जो  हावी  होने  वाली  बात  कही  गयी  की  तुम अपने  भावो से  अपने  वर्ड्स से लोगों  को  दबाने  की  कोशिश करती हो क्यूंकि  तुम्हारे  पास  जो वर्ड्स  है  ,  तुम  अच्छा   बोल  सकती  हो  तो  तुम  इस  चीज़  का  इस्तेमाल  करती  हो ?

(थोड़ी देर की ख़ामोशी के बाद)  वही  बात  की अपनी  मार्केटिंग  सब  करते  है  अपने  को  सब  बेस्ट  दिखने  की  कोशिश  करते  है  लेकिन  अगर  हावी  होने  की  बात  है  तो  ऐसा  नहीं  है  बस  बात  को  सच  साबित  करना  चाहती  हूँ  और  करती   हूँ  और  अगर  आप   उसको  हावी  होना  कहते  है  तो  यह  उनकी  प्रॉब्लम  है  

प्र- तुम्हारे अंदर कौनसी ऐसी चीज़ है जो तुम्हे दुसरो से अलग करती है ?

मेरी सोच 

प्र- लाइफ का ऐसा एक्स्पेरिंस जिसने तुम्हे हिला के रख दिया हो?

१० का रिजल्ट और पापा का देहांत दो ऐसे मौके थे जब मुझे लगा की जिंदिगी बोहत कठोर है 

प्र- तुम अपने आप को भविष्य में कहाँ देखती हो ?

किसी भी पोजीशन  में हूँ पैसा मिलना चाहिए लेकिन हाँ जिस एम को लेकर चल रही हूँ क्लास इंटर से वोह एम मेरा पूरा होना चहिये.. मेरा एम सोशल प्रॉब्लम को दूर करना भारत से 

प्र-तो तुम्हारा भविष्य का यही एम है और तुम्हारी फॅमिली ??

नहीं बिलकुल कोम्प्रोमिसे नहीं करुँगी

प्र-तुमने अभी कहा की तुम जो पाना चाहती हो तो तुम फॅमिली के साथ भी कोम्प्रोमिस नहीं करोगी किसी चीज़ से कोम्प्रोमिसे नहीं करोगी तो जो तुमने अभी समाज की बात की थी की तुम सारे काम समाज को देख के करती हो कपडे भी समाज को देख के पहनती हो तो तुम्हे नहीं लगता समाज तुम्हारे लिए बोहत बड़ी चुनौती साबित होने वाला है  ?

मेरा मानना यह है की अपने से जायदा टाइम को महत्व देती हूँ तो अगर टाइम को प्रोपर लेके चलती हूँ तो ऐसी प्रॉब्लम नहीं आएगी   ..मेरा मानना यह है की जो टाइम मेनज कर लेता  उसको कोई परेशानी नहीं आती है 

अच्छा अर्चना कुछ प्रशन में पूछती हूँ जिसका तुम्हे उत्तर जल्दी जल्दी देना होगा :_

१-फॅमिली या करियर 

करियर 

२-दोस्ती या पार्टनर

दोस्ती

३-हम दिल चुके सनम या नदिया के पार

नदिया के पार

४-आर्ट मोविएस या कोम्मेर्सिअल सिनेमा 

कोम्मेर्शिअल सिनेमा 

५-पढाई या मस्ती

पढाई

६-डांसर ,डिबेटर ,या लेखिका 

लेखिका 

७-तुम्हारी ख़राब आदत

रात में सोती नहीं हूँ ,खाना भी नहीं खाती हूँ

८-ऐसा दिन जो तुम्हे हमेशा याद रहेगा 

श्री लाल शुक्ल के साथ 

प्र -तुम्हे नहीं लगता की तुम इतनी भावुक हो इससे लोग फायदा उठाते है?

हाँ लगता है इसीलिए में फ़ौरन चिल्ला देती हूँ ताकि कोई मेरा फायदा न उठा सके 

प्र-तुम सबसे जायदा अपने घर में किस्से करीब हो?

किसी से नहीं क्यूंकि मुझे लगता है में जिससे भी करीब होती हूँवह दूर चला जाता है तो में अब किसी से इतनी करीब ही नहीं होती की मुझे उसके जाने का दुःख हो

प्र- तुम्हारी आँखे कुछ बोलती है इस्पे कुछ कहोगी ?

(हँसते हुए)आँखे सबकी बोलती है किसी की छोटी होती है किसी की बड़ी में अपनी आँखों पे काजल की मोटी  परत लगा के चलती हूँताकि लोग उसके अंदर न झाँक सके और पता न लगा सके की मेरे मन में क्या चल रहा है .

प्र- कोई ऐसा व्यक्ति है तुम्हारी लाइफ में जिसको तुम नहीं खोना चाहती हो की इतने लोगों को मैंने खो दिया अब इसको नहीं ?

नहीं कोई ऐसा नहीं है कोई इस लायक ही नहीं लगा 

प्र- तुम्हारा रोल  मॉडल कौन है?

वोह सारे व्यक्ति जो कुछ कर  रहे है जो लोग माँ को मानते है रोले मॉडल में नहीं मानती क्यूंकि यह तो उसका फ़र्ज़ है बताना समझाना और जो दुसरे लोग हमारी लाइफ में रोल निभा रहे है उनका क्या तो जो मुझे बताता है मेरे लिए कुछ करता है वोह मेरे लिए रोल मॉडल है .

प्र- तुम्हे अपने अंदर सबसे अच्छी बात क्या लगती है ?

में एक सिम्पल लड़की हूँ जिसे सजना सवरना बिलकुल नहीं पसंद है  

प्र जैसा की तुमने कहा था की तुम अपने बार में  लोगों को बताना नहीं चाहती हो तो ऐसा क्यूँ?

अगर लोग मेरे बारे में सब जान जायेंगे तो बचेगा क्या कहने के लिए और में अपनी शयरी के ज़रिये अपने आपको लोगों तक पोह्चाना चाहती हूँ....आप अगर किसी को धीरे धीरे जाने तो उसमें अपना ही मज़ा है न की एक बार में जान लेने में .

   प्र- तुम अभी सिर्फ २० साल की हो और इतनी बड़ी बड़ी बातें करती हो ?

मेरे हालात की वजह से में ऐसी हूँ इस्पे बस एक बात कहना चाहूंगी की जो लोग मुझे समझते की में जिंदिगी को एन्जॉय करना चाहती हूँ उनका शुक्रिया और जो लोग मुझे नहीं समझते है उनके लिए यह पंक्तियाँ :_

कोई कहता है कैसी उन्सुल्झी किताब हूँ मैं

और कोई पढ़ लेता है यूँ जैसे खुली किताब हूँ मैं 

प्र- तुम चीज़ों को कितनी गंभीरता से लेती हो?

जितनी गंभीर वोह होती है  

प्र- ऐसा दिन जिसको बदलना चाहती हो ?

है बोहत सरे दिन है जब मैंने छोटी छोटी गलतियाँ की थी जिनको अब सोचती हूँ तो लगता है की काश न की होती .

प्र- आखिरी प्रशन तुनको मोविएस कौनसी अची लगती है ?

नील कमल

आवारा 

राम तेरी गंगा मैली

 बॉम्बे

नायक

 तलाश   

इतनी सी उम्र में उन्होंने बोहत सारे प्रिज़ेज़ जीते है जैसे डांस में डिबेट में मिस जुबली भी रह चुकी है मोदेल्लिंग की दुनिया में भी जा चुकी है खाना पकाने में भी स्क्रिप्ट के लिए स्टेट लेवल पे भी इनाम लिए है एक्टिंग में भी अपनी कलाकारी दिखा चुकी अरचना को ढोलक बजाना भी बोहत पसंद है 

उनको रामायण पढना भी अच्छा  लगता है 

और उनसे बातो के दरमियाँ यह भी पता चला की उनकी एक छोटी सी लैब्ररी भी है

तो यह थी अर्चना के साथ कुछ बातें उनसे बात करके यह पता चला की वोह भी जिंदिगी को जीना चाहती है लेकिन कुछ मजबूरियों की वजह से वोह यह काम नहीं केर प् रही है उनमें भी एक बच्चा है जो सबके अंदर होता है एक गंभीर लड़की जो चीजों को बोहत गंभीरता से लेती है बोहत ही भावुक उनसे बैटन के दौरान लगा की वोह जो बताना छह रही थी उसमें बोहत जायदा क्लेअर नहीं थी मतलब उनकी द्रष्टि में वोह चीज़े स्पष्ट नहीं थी बोहत सारी बातो में वोह दूसरी जगह बात को ले गयी मतलब वोह जवाब दे तो रही थी लेकिन शायद वोह भावुकता में बह गयी और कुछ सवालों के जवाब मुझे वोह नहीं मिले जो में छह रही थी उनसे बात करके मुझे बोहत ख़ुशी हुई और पता चला की हमारे देश को एक बोहत अच्छी लेखिका मिलने वाली है जो सोशल प्रॉब्लम को ध्यान में रखेगी में उनके लिए अल्लाह से दुआ करुँगी की वोह जो चाहती है उन्हें वोह मिले इंशाल्लाह वोह जिंदिगी के हर दौर में कामियाब हो..





 


 

      


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Friday 23 March 2012

poem

Narm gadde pe to bohat soye hoge
kabhi park ki bench per so ker to dekho

gher pe mummy ki daant bohat khayi hogi
kabhi boss ki jhaad kha ker to dekho

woh subah savere naukri per nikalna
or din raat bhag daud kerna
phr akhir mahine  mein salary ka milna
kabhi un paison ki chai pee ker to dekho..

papa ka kehna tum kuch nahi ker sakte
or dadi ka pyar bhari nazron se dekhna
mummy ka duaon mein hath uthana
or master ka answer na dene per marna
kabhi un sab ko khush ker ke to dekho

doston ke sath rozana masti kerna
or unke sath canteen mein udham machana
roz subah long drive pe jana
or isharo-2 mein baten banana
kabhi pyar se unke kandhe pe hath rakh ker to dekho

doston ka apas mein ladna jhagdna
or choti si baton pe naraz hona
kabhi to fauran hi maan jana
or kabhi der tak naraz rehna
phr ruthna manana phr hasna hasana
kabhi unko haq bhari dhamki suna ker to dekho
kabhi unko pyar se samjha ker to dekho..

narm gadde pe to bohat soye hoge
kabhi park ki........................

dedicated to my family, friends,teachers and cousins as they r also my frnds:))